मेरठ। हापुड़ रोड पर चलने वाला नगर निगम का कमेला चार साल पहले ध्वस्त कर दिया गया था। इसके बाद से शहर में मीट की आपूर्ति का कोई साधन नहीं रह गया है। मीट बिक्री के लाइसेंस जारी करने की भी नई व्यवस्था लागू है, जिसके मुताबिक लाइसेंस नगर निगम नहीं, बल्कि खाद्य सुरक्षा विभाग द्वारा जारी किए जाएंगे। वह भी मीट की आपूर्ति का स्नोत बताने पर। इसके बावजूद शहर की गली-गली में खुलीं सैकड़ों दुकानों पर धड़ल्ले से भैंस और अन्य जानवरों का मीट बेचा जा रहा है। रोजाना मीट बिक्री की मात्र कई सौ टन है। जाहिर है कि मीट की व्यवस्था अवैध कटान करके की जा रही है। पुलिस के रिकार्ड में भी जनपद में मीट की फुटकर दुकानों की कुल संख्या 94 मिली है, जबकि अवैध कटान के लिए बदनाम थानों ने दुकानों की संख्या ही नहीं बताई।
शाहपीर गेट निवासी आबिद ने शहर में अवैध रूप से मीट की बिक्री पर सवाल खड़ा कर एसएसपी से सूचना के अधिकार के प्रावधानों के तहत थानावार अवैध कटान के मामले, उनमें पकड़े गए अभियुक्तों, गो तस्करों से पुलिस मुठभेड़ और फुटकर मीट बिक्री की दुकानों की संख्या की जानकारी मांगी थी। पुलिस ने शहरी क्षेत्र में 46 और कस्बों और ग्रामीण क्षेत्रों में 48 दुकानों की जानकारी दी है। यह स्थिति तो तब है, जबकि अवैध कटान के लिए बदनाम लिसाड़ी गेट, कोतवाली, दौराला, परीक्षितगढ़, भावनपुर, फलावदा, टीपी नगर, जानी, किठौर, मुंडाली, खरखौदा आदि थानों ने यह संख्या या तो बताई नहीं है अथवा सवाल को टाल दिया। जनपद में मीट की फुटकर दुकानें सैकड़ों हैं।
स्त्रोत हैं नहीं... तो बताएंगे क्या
पूर्व में नगर निगम क्षेत्र में मीट की फुटकर बिक्री के लाइसेंस नगर निगम का स्वास्थ्य विभाग जारी करता था, लेकिन प्रदेश सरकार द्वारा लागू की गई नई व्यवस्था में अब लाइसेंस खाद्य सुरक्षा विभाग द्वारा जारी किया जाता है। इसमें आवेदक को मीट की आपूर्ति का स्नोत बताना आवश्यक है। नगर निगम क्षेत्र में मीट की आपूर्ति केवल नगर निगम द्वारा संचालित कमेले से ही की जा सकती है, जो कि चार साल से अधिक समय से ध्वस्त है। इसी प्रकार गांव और कस्बों में भी मीट आपूर्ति की व्यवस्था नहीं है। इन हालात में खाद्य सुरक्षा विभाग भी लाइसेंस जारी नहीं कर सकता। विभागीय जानकारी के मुताबिक यहां से जनपद में अभी तक कुल 64 लाइसेंस जारी किए गए हैं, लेकिन ये पक्षी (मुर्गे) के मीट की बिक्री के हैं।
मेरठ में जमकर हो रहा है अवैध कटान
आरटीआइ के मुताबिक जनपद में जमकर अवैध कटान होता है। कटान के साथ-साथ गोहत्या के काफी मामले नियमित रूप से पकड़े जाते हैं। अभियुक्तों को पकड़ा जाता है। गो तस्करों से मुठभेड़ भी यहां खूब होती हैं। जनपद में चार साल में 355 मामले पुलिस ने पकड़े, जिनमें कुल 876 अभियुक्तों को गिरफ्तार किया गया। मीट माफिया से पुलिस की 45 मुठभेड़ भी हुईं।
कहां कितनी मीट की फुटकर दुकानें
थानादुकानों की संख्या
मेडिकल 04
देहली गेट 25
इंचौली 06
मवाना 10
ब्रहमपुरी 07
परतापुर 10
सरधना 32
कुल 94
थोक कंपनियां नहीं देतीं पूरी भैंस
मुर्गे के मीट की बिक्री का लाइसेंस भी थोक बिक्री की एक कंपनी के बिल के आधार पर खाद्य सुरक्षा विभाग द्वारा जारी किया जा रहा है। उसी के बिल लगाकर भैंस के मीट की बिक्री का लाइसेंस मांगा जा रहा है। वह कंपनी पशुओं का मीट छोटे-छोटे भाग में बिक्री करती है, जबकि फुटकर दुकानों पर भैंस और अन्य जानवरों के कटान के बाद उसके शरीर का काफी बड़ा भाग लटकाकर रखा जाता है।